भोपाल। ग्रामीण विकास की
विभिन्न योजनाओं में संविदा पर काम कर रहे 30 हजार से ज्यादा कर्मचारियों का
मानदेय दस फीसदी बढ़ाया जाएगा। इससे कर्मचारियों को 500 से लेकर 3500 रुपए महीना तक
का फायदा होगा। बढ़ा हुआ मानदेय 1 दिसंबर 2015 से लागू होगा। इससे करीब पांच करोड़
रुपए प्रतिमाह का अतिरिक्त भार आएगा, लेकिन राज्य का खजाना प्रभावित नहीं होगा,
क्योंकि केंद्रीय योजनाओं के बजट में ही स्थापना व्यय शामिल होता है।
पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग की विभिन्न योजनाओं (मनरेगा,
स्वच्छता मिशन, इंदिरा आवास, ग्रामीण यांत्रिकी सेवा, वॉटरशेड, आजीविका मिशन) में
30 हजार से ज्यादा कर्मचारी संविदा आधार पर काम कर रहे हैं। इन्हें हर माह तयशुदा
मानदेय दिया जाता है, लेकिन महंगाई को देखते हुए इसे पर्याप्त नहीं माना गया। ऐसे
में विभाग ने योजनाओं की आर्थिक स्थिति को देखते हुए 10 प्रतिशत मानदेय बढ़ाने का
प्रस्ताव विभागीय मंत्री गोपाल भार्गव को भेजा था, जिसे उन्होंने मंगलवार को हरी
झंडी दे दी।
इनको मिलेगा फायदाः लेखापाल, सहायक लेखापाल, उपयंत्री, सहायक
यंत्री, विशेषज्ञ, तकनीकी सहायक, परियोजना सहायक, रोजगार सहायक, डाटा इंट्री
ऑपरेटर सहित अन्य। भार्गव ने बताया कि महंगाई को देखते हुए संविदा कर्मियों को
दिया जा रहा मौजूदा मानदेय कम था। योजनाओं की आर्थिक स्थिति को देखते हुए इसे लागू
किया जाएगा।
इससे राज्य पर कोई अतिरिक्त वित्तीय भार नहीं आएगा क्योंकि सभी
केंद्रीय योजनाएं हैं। स्थापना व्यय भी केंद्र सरकार योजना खर्च में शामिल करके
देती है। वहीं, विभाग की अपर मुख्य सचिव अरुणा शर्मा ने बताया कि मानदेय बढ़ाने पर
सैद्धांतिक फैसला हो चुका है, इसे एक-दो दिन में लागू कर दिया जाएगा। पद के हिसाब
से मानदेय 500 से लेकर 3500 रुपए तक बढ़ सकता है।