Sunday, January 24, 2016

चलो फि‍र से इन्‍कलाब कर दें।

एक और इन्‍कलाब


चि‍र नि‍द्रा से जाग पडे अब, सुबह का सूरज लाल कर दें ।
चलो फि‍र से इन्‍कलाब कर दें।।
चि‍न्‍गारि‍यॉ हर जगह छुपी हैं , राख के इस ढेर में।
चलो उठ के एक साथ भभकें आग का सैलाब कर दें।।
चलो फि‍र से इन्‍कलाब कर दें।
एक ओर हल्‍ला बेाले , एक तरफ इख्‍लाक कर दें।।
चलो फि‍र से इन्‍कलाब कर दें।
घर में घुसे रहे तो, घर तलक जल जायेगा।
देहरी लांघें , सडकें माॅपें , चौराहो तक फैलाब कर दें।।
चलो फि‍र से इन्‍कलाब कर दें।
चि‍र नि‍द्रा से जाग पडे अब, सुबह का सूरज लाल कर दें ।

ग्रा0 रो0 से0 भाइयो के धरने को समर्पित ।