विश्व समुदाय में सबसे बडी रोजगारपरक
योजना के रूप में प्रसंसनीय योजना के संचालन में 10 वर्ष तक पूरे मनोयोग ओर निष्ठा
से सेवा देने के बाद भी मनरेगाकर्मियों को जिवनयापन का न्यूतम स्तर भी नही
प्राप्त हो सका है। आज देश के लगभग आधा दर्जन से ज्यादा प्रदेशों में
मनरेगाकर्मियो द्वारा अपने वाजिब हक के लिए धरने और प्रदर्शन किये जा रहे है। योजनाकर्मी
कुटील, धूर्त और केवल राजनैतिक लाभ के लिए ही कोई निर्णय नही अपितु घोसडा करने
वाले कलुषित और घृणित मानसीकता वाले सत्तासीनों द्वारा योजना में कार्य करने वाले
मजदूरों की मजदूरी तो 50 से 161 लगभग साढे तीन गुना कर दी गयी है और पॉच गुना करने
की तैयारी की जा रही है जो चुनाओं तक सम्भव है हो भी जाये। लेकिन योजना संचालन के
लिए नियुक्ति कम्प्यूटर आपरेटर, लेखा सहायक, तकनीकी सहायक, अतिरिक्त कार्यक्रम
अधिकारी , रोजगार सेवको से, किसी भी कर्मचारी को न्यूतम वेतमान देने के
कोर्ट के आदेश को ठेंगे पर रख कर अतिअल्प मानदेय पर इनसे काम लिया जा रहा है। कुछ राज्यों में रोजगार
सेवको और तकनीकी सहायको को तो पूर्व में
किये गये संघर्ष के परिणाम स्वरूप रोजगार सेवको को 10 प्रतिशत वार्षिक मानदेय
व़द्धि और तकनीकी सहायकों को एक या दो बार वेतन व़द्धि मिल भी चुकी है। लेकिन योजना
की रीढ कार्यालयकर्मी कम्प्यूटर आपरेटर, लेखा सहायक , अतिरिक्त कार्यक्रम अधिकारी
के मानदेय मे आज तक कोई भी वृद्धि नही की गयी ।
सरकारो की उपेक्षा से मजबूर कार्यालयकर्मियो
द्वारा इस बार धरने में समर्थन करने से मनरेगा की प्रगति रूक सी गयी है। वित्तीय
वर्ष समाप्ति की ओर है, इस समय कार्यालयों में कार्य का दबाव बहुत ज्यादा होता
है। और इनके द्वारा कम्प्यूटर बन्द कर हडताल में शामिल होने से आला अफसरो के
हाथ पॅाव फूल रहे है ,न ही मस्टर रोल निकल पा रहे है न ही भुगतान हो पा रहा है,
नित्य समीक्षाओ का दौर जारी है , दायित्व निर्धारित कर अधिकारियो पर कार्यवाही
की जा रही है। ओर उधर मजदूरो द्वारा किये गये कार्य की मजदूरी न मिलने से वे मजदूरी
के लिए परेशान है। मनरेगा के सारे विकास कार्य ठप्प की स्थिती मे हो गये है। यही
सही समय है यदि हडताल जारी रहती है तो कुछ न कुछ नतीजे जरूर निकलेंगे । और स्वार्थी
सत्ताधारियो को कुछ निर्णय लेने पर मजबूर होना पडेगा ।
कौन कहता है आसमान मे सुराख हो नही सकता।
अरे तबीयत से कोई पत्थर तो उछालो यारों ।।